जुड़वां बच्चों को जन्म देने वाली महिलाओं में हृदय रोग का खतरा अधिक
- By Vinod --
- Monday, 03 Feb, 2025
Women who give birth to twins have higher risk of heart disease
Women who give birth to twins have higher risk of heart disease- नई दिल्ली। एक नए अध्ययन के अनुसार, जुड़वां बच्चों को जन्म देने वाली महिलाओं में हृदय रोग का खतरा उन महिलाओं की तुलना में दोगुना अधिक होता है, जिन्होंने एक ही बच्चे को जन्म दिया है।
यह शोध यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित हुआ और इसमें पाया गया कि जुड़वां बच्चों की माताओं को प्रसव के एक साल के भीतर हृदय रोग के कारण अस्पताल में भर्ती होने की संभावना अधिक रहती है।
यदि गर्भावस्था के दौरान किसी महिला को उच्च रक्तचाप (प्री-एक्लेम्पसिया) की समस्या थी, तो यह खतरा और भी बढ़ जाता है।
अमेरिका की रटगर्स यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस अध्ययन में बताया गया कि पिछले कुछ दशकों में पूरी दुनिया में जुड़वां गर्भधारण के मामले बढ़े हैं। इसका मुख्य कारण फर्टिलिटी ट्रीटमेंट (बांझपन का इलाज) और अधिक उम्र में मां बनने की प्रवृत्ति है।
मुख्य शोधकर्ता डॉ. रूबी लिन के अनुसार, "जुड़वां गर्भावस्था के दौरान मां के हृदय को अधिक मेहनत करनी पड़ती है और प्रसव के बाद हृदय को सामान्य स्थिति में लौटने में कई सप्ताह लगते हैं।"
उन्होंने आगे बताया कि "जिन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान रक्तचाप की समस्या नहीं भी थी, उन्हें भी प्रसव के बाद एक साल तक हृदय रोग का खतरा बना रहता है।"
2010 से 2020 के बीच अमेरिका में 3.6 करोड़ प्रसवों के आंकड़ों के अध्ययन से पता चला कि जुड़वां बच्चों की माताओं में हृदय रोग के कारण अस्पताल में भर्ती होने की दर 1,105.4 प्रति 1 लाख प्रसव थी। एक ही बच्चे की माताओं में यह दर 734.1 प्रति 1 लाख प्रसव थी।
यदि किसी महिला को गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप की समस्या नहीं थी, तो भी जुड़वां बच्चों की मां बनने पर हृदय रोग के कारण अस्पताल में भर्ती होने की संभावना सामान्य महिलाओं की तुलना में दोगुनी अधिक रही। और यदि गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप था, तो यह खतरा आठ गुना बढ़ गया।
हालांकि, शोध से यह भी पता चला कि सिंगल गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप से पीड़ित महिलाओं में प्रसव के एक साल बाद मृत्यु दर अधिक थी, जबकि जुड़वां बच्चों की माताओं में यह कम हो गई। इससे यह संकेत मिलता है कि जुड़वां बच्चों की माताओं के लिए दीर्घकालिक जोखिम कम हो सकता है, जबकि सिंगल गर्भावस्था वाली माताओं में पहले से मौजूद हृदय संबंधी समस्याओं का प्रभाव बना रह सकता है।
डॉ. लिन के अनुसार, फर्टिलिटी ट्रीटमेंट से गुजरने वाली महिलाओं, खासकर अधिक उम्र, मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप या हृदय रोग से पीड़ित महिलाओं को जुड़वां गर्भावस्था से जुड़ी हृदय संबंधी जटिलताओं के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए।
साथ ही, डॉक्टरों को ऐसी महिलाओं की प्रसव के बाद एक साल तक नियमित जांच करनी चाहिए, ताकि किसी भी हृदय समस्या का समय पर पता लगाया जा सके।